How important is your name? In the system of things, you are none but your name?
नाम में क्या रखा है? वो भी एक आम इंसान के नाम में?
क्या एक साधारण से इंसान का, आम सा नाम, सत्ताओं के युद्ध का हिस्सा हो सकता है? नहीं ना? मगर कोई कहे हाँ? आप कहें आपका नाम ये है। ये राजनीतिक पार्टी कहे, ये नहीं, ये है। और दूसरी पार्टी कहे, नहीं ये है। तो किसकी सुनी जाएगी? जिसका नाम है, उसकी? या इस या उस पार्टी की?
कोई पार्टी जैसे धमकी दे, की अगर ये नहीं रखा तो नौकरी नहीं बचेगी? और कोई कहे, ये नहीं रक्खा, तो इस भाई की ज़मीन, तुम नहीं बचा पाओगे? एक छोटा सा नाम, साधारण से इंसान का नाम, जो किसी सिस्टम में चींटी जितनी सी भी औकात ना रखता हो? क्या इतना कुछ कर सकता है? अगर हाँ तो कैसे?
ये साधारण सा इंसान आपमें से कोई भी हो सकता है। ऐसे ही, मैं भी। जानने की कोशिश करें, की आपकी IDs किसी भी सिस्टम में कितनी अहम हैं? और राजनीतिक पार्टियाँ, उनसे कहाँ-कहाँ और कैसे-कैसे खेल रही हैं? अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए, वो आपकी जानकारी के बिना, आपका कितना नुक्सान कर सकती हैं या कर रही हैं? जहाँ कहीं आपकी IDs में so-called, print error हैं, क्या वो सच में प्रिंट की गलती हैं या जानभूझकर करवाई गई गलतियाँ?
एक साधारण से इंसान का, साधारण सा नाम, जिसके साथ ये जद्दोजहद तब शुरु हो गई, जब उसने कहा मुझे तो अपना गौत्र लिखना है, अपने नाम के साथ। ये कुमारी मुझे पसंद नहीं। 2005 में दादा जी के साथ हुई एक छोटी सी बात और 2007 में अपने नाम के साथ (विजय), किया गया एक छोटा सा बदलाव, कुमारी की जगह दांगी, आज तक जैसे अपने बदलाव के यहाँ वहाँ प्रमाण माँग रहा हो। क्यों? भला ऐसा क्या खास है, इस बदलाव में? जाने की कोशिश करते हैं आगे पोस्ट में।
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